लेखनी प्रतियोगिता - मन का ज्वालामुखी
मन का ज्वालामुखी!!
इस हद तक तड़प चुके हैं,
कि अब कुछ अपना नही लगता है हमें,
इस हद तक सताया है दुनिया ने,
कि अब सब कुछ खत्म सा लगता है हमें,
ज़िंदगी की उलझनों में उलझ कर रह गए हम,
अपनी बेगुनाही का सबूत देते देते, अब थक गए हम,
ढूंढते ढूंढ़ते इस सफर का किनारा,
बीच मझधार में ही डूब गए हम
रिश्तों को समेटते हुए,खुद ही बिखर गए हम,
औरों को संभालते हुए,खुद ही भटक गए हम
सब कुछ खो कर, अब जाना है हमने
कि खुद को खुश रखना तो बिलकुल भूल ही गए हम।।
प्रियंका वर्मा
15/6/22
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Seema Priyadarshini sahay
17-Jun-2022 05:14 PM
बेहतरीन रचना
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Priyanka Verma
16-Jun-2022 03:57 PM
Thank you so much, all my friends 🙏💐😊💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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Dr. Arpita Agrawal
16-Jun-2022 01:23 PM
Beautiful 👌👌
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